अमरीकी सरकार गूगल, फेसबुक, ट्विटर व अन्य शक्तिशाली सूचना प्रौद्योगिकी माध्यमों के साथ सहयोग द्वारा समाजवादी, युद्धविरोधी और प्रगतिशील वेबसाइटों की इंटरनेट पहुंच पर भारी प्रतिबंध लागू कर रही है। ठीक इसी प्रकार के दमनकारी प्रतिबंध तमाम यूरोप और दुनियाभर में पूंजीवादी सरकारों द्वारा अपनाए जा रहे हैं।
सेंसरशिप का सीधा उद्देश्य इंटरनेट पर रहने के दौरान लोगों की पढ़ने-लिखने और रुचि की निगरानी करना है। इसलिए इस पर बेहद करीबी नज़र रखी जा रही है। राज्य, सैन्य-खुफिया एजेंसियों और सीमित प्रतिस्पर्धा स्थिति का लाभ उठाने वाले प्रौद्योगिकीय निगमों द्वारा इस गठबंधन की ये कार्रवाई अभिव्यक्ति की आज़ादी और अन्य मूल लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए बेहद खतरनाक है।
“फ़र्ज़ी खबर” और “रूसी हस्तक्षेप” को नष्ट करने के लिए धोखाधड़ी के तहत 21वीं सदी की पूंजीवादी पुलिस राज्य के लिए तकनीकी मचान तैयार की जा रही है।
2017 की गर्मियों में वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट ने गूगल द्वारा वाम-पक्ष साइटों के बारे में सर्च व इन्टरनेट यातायात सीमित करने की हेराफेरी की खबर प्रकाशित की थी। परिणामस्वरूप, डब्ल्यूएसडब्लूएस ने गूगल खोजों में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। अप्रैल 2017 तक हमारी साइट की गई खोजों में शीर्ष 150 खोजों में से 145 हमारी वेबसाइट के लिए एक भी खोज या परिणाम नहीं देते। डब्ल्यूएसडब्लूएस द्वारा की गई जांच में यह भी सामने आया कि globalresearch.ca, consortiumnews.com, counterpunch.org, alternet.com, wikileaks.com व truthdig.org, जैसी अन्य विपक्षी वेबसाइटों ने भी गूगल खोज द्वारा रीडरशिप में काफी गिरावट पाई है।
25 अगस्त 2017 को डब्ल्यूएसडब्लूएस अंतर्राष्ट्रीय संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष डेविड नॉर्थ ने गूगल के प्रमुख अधिकारियों को इस तरह एक खुला पत्र लिखा:
“इस व्यापक पैमाने पर सेंसरशिप एक किस्म की राजनीतिक ब्लैकलिस्टिंग है। गूगल द्वारा इस सेंसरशिप एल्गोरिथम का उद्देश्य साफ़ है। ये सेंसरशिप कंपनी की हर ऐसी खबर और विचारों को अवरुद्ध करना चाहती है जिनके साथ उनकी सहमति नहीं हैं। गूगल जैसे प्रतिष्ठित उद्यम के लिए ये राजनीतिक ब्लैकलिस्टिंग एक वैध तरीका नहीं है। यह शक्ति का अवैध दुरुपयोग है। ये आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।“
इसलिए हम आपको और गूगल को डब्ल्यूएसडब्लूएस की ब्लैकलिस्टिंग रोकने और सभी वाम-पक्ष, समाजवादी, युद्धविरोधी और प्रगतिशील वेबसाइटों पर से सेंसरशिप हटाने के लिए आग्रह करते हैं। ये आपकी भेदभावपूर्ण खोज नीतियों के परिणामस्वरूप प्रभावित हैं।
गूगल ने इस पत्र का उत्तर नहीं दिया। लेकिन 26 सितंबर, 2017 को द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख डब्लूएसडब्लूएस के निष्कर्षों को इंगित करता था। इस लेख ने गूगल के दावे का हवाला देते हुए कहा “ये खोज सब सुनिश्चित करने से पहले एक कठोर जांच प्रक्रिया से गुज़रती है तथा इसके परिणाम किसी भी तरह से राजनीतिक, लैंगिक, नस्लीय या जातीय पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हैं।”
यह साफ़ तौर पर सरासर झूठ था। डब्लूएसडब्लूएस के प्रारंभिक खुलासे के बाद से ही सरकार-सैन्य-खुफिया-कॉरपोरेट तकनीक के गठजोड़ वैश्विक पैमाने पर अपने सेंसरशिप प्रयासों को फैला रहे हैं। जहां एक ओर ट्रम्प प्रशासन ने दिसंबर 2017 में नेट तटस्थता को निरस्त किया, वहीं जर्मनी, फ्रांस और तमाम अन्य देशों में भी सरकारों ने इंटरनेट आज़ादी पर कार्रवाई शुरू कर दी। जनवरी 2018 में फेसबुक ने अपने न्यूज़फ़ीड में एक बड़ा बदलाव करते हुए फ़ीड में समाचार एक्सेस, विशेष तौर से वाम-पक्ष की साइट्स को लक्षित कर ब्लॉक करना शुरू कर दिया। हालांकि इस पर सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने कहा कि इस तरह के बदलाव से “उपयोगकर्ता कम अकेला महसूस करने के साथ साथ अधिक जुड़ा हुआ महसूस करेंगे”।
आज लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए तत्काल खतरा है। 1990 में इंटरनेट के विकास ने विश्व संचार व सूचना साझीकरण में व्यापक विस्तार की संभावनाएं पैदा कीं। लेकिन सामाजिक असमानता को दूर, आपसी असंतोष और बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय तनाव को समाप्त करने की बजाय आज पूंजीवादी राज्य और सूचना नियंत्रित करने वाले अरबपति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संचार प्रौद्योगिकियां इंटरनेट को तानाशाही, निजी लाभ और युद्ध की तरफ़ धकेल रहे हैं ।
विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट को जनवरी 16 के वेबिनार इंटरनेट सेंसरशिप के लिए प्रतिरोध का विरोध में भेजे गए एक वक्तव्य में चेतावनी दी:
हालांकि आज इंटरनेट ने स्वयं और दूसरों को शिक्षित करने की इंसानी क्षमता में एक क्रांति की है, लेकिन परिणामस्वरूप इसके लोकतांत्रिक घटनाक्रम ने मौजूदा परिस्थितियों को जड़ समेत हिला दिया है। गूगल, फेसबुक और उनके चीनी समकक्ष सामाजिक और वित्तीय रूप से मौजूदा अभिजात वर्गों के साथ एकीकृत हैं व उन पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं।
डब्ल्यूएसडब्लूएस वेबिनार को भेजे गए एक अन्य संदेश में फिल्म निर्माता और कार्यकर्ता जॉन पिलगेर ने खोज परिणामों और एल्गोरिदम में हेरफेर की निंदा करते हुए इसे "रैंक सेंसरशिप" माना व कहा “मुख्य धारा से निकाले गए स्वतंत्र पत्रकारों के साथ वर्ल्ड वाइड वेब गंभीर मसलों का महत्वपूर्ण स्रोत होने के साथ साथ एक साक्ष्य-आधारित बेहतरीन विश्लेषण है : सच्ची पत्रकारिता।
सत्तारूढ़ वर्ग इन्टरनेट को सूचना एकाधिकार, युद्ध को बढ़ावा, धन लोलुपता व अत्यंत सामाजिक असमानता फैलाने की उनकी नीयत के खिलाफ एक हथियार के तौर पर देखता है। लोकतंत्र और सूचना का मुफ़्त प्रवाह समकालीन पूंजीवाद के साथ असंगत है। आज दुनिया के मात्र आठ अरबपतियों के पास दुनिया के सबसे गरीब व करीब 3.6 अरब लोग, जो आधी दुनिया है, के बराबर राशि है। विश्व अर्थव्यवस्था तमाम नियंत्रण करने वाले आज इंटरनेट को एक पूंजीवादी शोषण और साम्राज्यवादी युद्धों के खिलाफ विश्वव्यापी संघर्ष के चर्चा, जानकारी साझा करने और राजनीतिक संगठन के लिए एक क्षेत्र के रूप में देखता है।
सन 2005 में दुनिया के करीब 1 अरब लोग (कुल आबादी का 16 प्रतिशत) इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे थे वहीं 2017 में 3.8 अरब लोगों ने (दुनिया की कुल आबादी के 52 प्रतिशत) इंटरनेट का इस्तेमाल किया। आज दुनिया के 70 प्रतिशत से अधिक, 830 मिलियन युवा लोग ऑनलाइन हैं, जिनमें से 320 मिलियन लोग अकेले भारत और चीन से हैं। मोबाइल ब्रॉडबैंड का बाज़ार भी 2012 में 1.7 अरब के मुक़ाबले 2017 में बढ़कर 5 अरब हुआ है। इसमें सबसे अधिक वृद्धि एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के बाज़ारों में देखी गई है। आज तमाम विश्व में ज़बरदस्त व संभावित राजनीतिक शक्ति के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कामगार वर्ग पहले से कहीं ज़्यादा संगठित है।
इंटरनेट सेंसरशिप, सूचना नियंत्रण और राज्य-पुलिस निगरानी के संदर्भ में अमेरिकी डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों व कॉर्पोरेट मीडिया द्वारा दिये जा रहे तर्क सरासर झूठ का एक पुलिंदा हैं। उनका सीधा उद्देश्य लोकतांत्रिक अधिकारों और कानूनी प्रक्रिया को खत्म करने के साथ साथ एक भयावह माहौल बनाना है।
पूर्व एफबीआई एजेंट व अमेरिकी सेना अफसर क्लिंट वॉट्स ने अमेरिकी सीनेट को 17 जनवरी को बताया, “मोबाइल फोन द्वारा साइबरस्पेस में आने के बाद दुनिया भर की कम-शिक्षित सबसे अधिक प्रभावित होगी, ये विशेष तौर पर तानाशाही ताकतों व आतंकवादियों का सोशल मीडिया में हेरफेर करते हुए बेहद खराब परिणाम देगी।“
फेसबुक अटॉर्नी मोनिका बिकर्ट ने ओरेवेलियन भाषा में सीनेट को बताया, “हम फ़र्ज़ी खबरों को रोकने के साथ साथ लोगों को असली खबरों से जोड़ने के नए तरीके तलाश रहे हैं--हम जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं।“
“फ़र्ज़ी ख़बर” का उदय "रूसी हस्तक्षेप" की तरह एक धोखाधड़ी है। अमेज़ॅन के जेफ बेजोस के स्वामित्व वाले द न्यू यॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट के अमेरिकी डेमोक्रेट्स, रिपब्लिकन और कॉरपोरेट मीडिया प्रचारक फ़र्ज़ी ख़बरों के प्रसारण के लिए पूंजीवादी प्रकाशनों व विपक्षी वेबसाइटों पर आरोप लगाते हैं।
इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण 2003 का इराक हमला है, जिसमें 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई व वहाँ “सामूहिक विनाश के हथियारों” का झूठा दावा किया गया। इसने एक ऐसी सरकार के तमाम दावों को पूरी तरह खोखला साबित किया जो लगातार युद्ध की स्थिति बनाए रखने के साथ-साथ हर महाद्वीप पर शासन संचालित करना चाहती है। इसके लिए इस सरकार ने करीब पूरे विश्व में अपने सैनिकों को तैनात भी कर रखा है। आज सत्तारूढ़ वर्ग ऐसी ही झूठी बातों का इस्तेमाल अपराधीकरण करने और महत्वपूर्ण राय वाले प्रकाशनों को नष्ट करने के लिए बराबर कर रहा है।
साम्राज्यवादी युद्ध हमेशा राजनीतिक दमन के साथ लड़े जाते हैं। अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कुछ हफ़्तों बाद कांग्रेस ने एस्पियोनेज अधिनियम पारित कर इसका इस्तेमाल समाजवादियों को जेल भेजने और अप्रवासी क्रांतिकारियों को खदेड़ने के लिए किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सरकार ने समाजवादियों को समाचार पत्रों को भेजने से रोक दिया, उन्होने ट्रौट्स्कीट्स पर स्मिथ एक्ट के तहत मुकदमा चलाया और 100,000 से ज्यादा जापानी सैनिकों को शिविरों में कैद कर दिया। वियतनाम युद्ध के सामूहिक विरोध के कारण जॉनसन और निक्सन प्रशासन द्वारा कुख्यात COINTELPRO एजेंडा को नागरिक अधिकारों, खास तौर से वाम पक्ष के राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए लागू किया गया। 2001 से डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन ने पैट्रियट और एफआईएसए अधिनियमों के तहत बड़े पैमाने पर खुफिया कार्यक्रम शुरू कर काली जेलों का एक नेटवर्क बनाया और "आतंकवाद" से निपटने की आड़ में सीआईए के दमन को बचाया।
सोशल मीडिया की लोकतांत्रिक क्षमता को अमेरिकी सेना अपने कार्यों के लिए एक बड़ा खतरा मानती है। 21 दिसंबर 2016 के एक रणनीतिक दस्तावेज में यूएस आर्मी वॉर कॉलेज ने लिखा, “एक बेहद उच्च डिजिटल शहर में सोशल मीडिया में ख़बर (और अपरिष्कृत ख़बर) का बेहद तेज़ी से फैलाव खतरनाक हो सकता है। यहां अमेरिका में जारी कई वीडियोज़ में पुलिस द्वारा हत्याओं को दिखाने के बाद ज़बर्दस्त विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक आंदोलन देखे गए हैं।“
अप्रैल 2017 में प्रकाशित एक अन्य लेख में वॉर कॉलेज ने इस खतरे के डर को बताते हुए कहा, “आज स्मार्टफोन से लैस आबादी वर्तमान में हो रही घटनाओं को बखूबी देख रही है तथा उनके बारे में संवाद करने को एकदम तैयार हैं।“
किसी भी खतरे को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर क्रिस हेजस, जिन्होंने डेविड नॉर्थ के साथ डब्लूएसडब्ल्यूएस वेबिनार में भाग लिया, बताया:
यह सेंसरशिप वैश्विक है। जर्मन सरकार का नेटवर्क प्रवर्तन अधिनियम आपत्तिजनक सोशल मीडिया पर सामग्री प्रसारित करने के कथित तौर पर जुर्माना लगाता है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रॉन भी इंटरनेट से “फ़र्ज़ी खबरों” को हटाने के लिए प्रयासरत हैं। अमेरिका ने चेचन गणराज्य के तानाशाह रमज़ान कादिरोव को प्रतिबंधत कर उनके फेसबुक व इंस्टाग्राम खातों को हटा दिया। निश्चित रूप से कादिरोव सही व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन अमेरिकी नागरिक लिबर्टीज संघ के मुताबिक अमेरिकी सरकार को इसे प्रतिबंधित करने का अधिकार है। इजरायली सरकार के इशारे पर फ़ेसबुक ने 100 से अधिक फ़िलिस्तीनी कार्यकर्ताओं के खातों को हटा दिया है। ये ओरवेलियन दुनिया के लिए वैचारिक पुलिस, “न्यूज़पीक” व “वैचारिक गुनाह” या फेसबुक के अनुसार “रैंकिंग गिराना” व “काउंटरस्पीच” जैसा है। [Truthdig.com, 21 जनवरी, 2018]
आज लोकतांत्रिक अधिकारों के अस्तित्व को बचाने के लिए इन खतरों का विरोध किया जाना आवश्यक है। इसके लिए इंटरनेट सेंसरशिप और निगरानी के खिलाफ व्यापक गठबंधन जैसे संगठन व समन्वय की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, विश्व सोशलिस्ट वेब साइट समाजवादियों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन, युद्ध विरोधी व प्रगतिशील वेबसाइट्स के गठन को प्रायोजित कर रही है। हम समाजवादी, युद्ध विरोधी और प्रगतिशील वेबसाइटों और संगठनों के साथ-साथ व्यक्तिगत कार्यकर्ताओं व स्वतंत्र पत्रकारों सहित सभी का जो इंटरनेट सेंसरशिप के महत्वपूर्ण विरोध के उद्देश्य के लिए तैयार हैं, का स्वागत करते हैं।
हालांकि, प्रगतिशील वेबसाइटों, समाजवादियों व युद्ध विरोधियों के एक प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के लिए सैद्धान्तिक तौर पर एक समझौता होना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित शामिल किया जाना चाहिए:
- सूचना, संस्कृति और विविध दृष्टिकोणों के मुफ्त आदान-प्रदान व राजनीतिक संगठन के एक मंच के रूप में सैद्धान्तिक रूप से इंटरनेट पहुँच की सुरक्षा करने के साथ साथ इसे स्वतंत्र और समान रूप से सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए।
- सरकारों व निजी संकायों द्वारा इंटरनेट इस्तेमाल पर बिना किसी शर्त पूर्ण आज़ादी।
- नेट तटस्थता की बिना शर्त रक्षा और इंटरनेट के लिए नि: शुल्क, निराधार और समान पहुंच।
- मानवीय हस्तक्षेप द्वारा खोज एल्गोरिदम व प्रक्रियाओं में कॉरपोरेट हेरफेर, जो वेबसाइटों को सार्वजनिक रूप से प्रतिबंधित और अवरुद्ध करते हैं, को गैरकानूनी व प्रतिबंधित करना।
- वेब उपयोगकर्ताओं की निगरानी के लिए इंटरनेट और कृत्रिम खुफिया तकनीकों के इस्तेमाल के लिए अपरिवर्तनीय विरोध।
- जूलियन असांजे और एडवर्ड स्नोडेन पर अत्याचार अंत की मांग और उनकी स्वतंत्रता की पूर्ण बहाली
- कॉर्पोरेट इंटरनेट एकाधिकार में सार्वजनिक सहभागिता की अनुशंसा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित लोकतांत्रिक नियंत्रण के तहत निजी लाभ से हटकर उच्चतम सेवा सुनिश्चित करना।
- निजी हित साध रहे राजनेताओं, पार्टियों व पूंजीवादी सरकारों के खिलाफ इंटरनेट सेंसरशिप और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की ये लड़ाई सिर्फ़ अपीलों द्वारा नहीं लड़ी जा सकती। ये एक अंतर्राष्ट्रीय व साझा संघर्ष है, जो पूरी तरह से नस्लवाद, राष्ट्रीय राजनैतिकता और पूंजीवादी सैन्यवाद के खिलाफ़ है। इसलिए, वो लोग वास्तव में लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना चाहते हैं व इसके लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें सभी देशों के श्रमिक वर्ग को इस दिशा में जुटाने का प्रयास करना चाहिए।
उपरोक्त सिद्धांतों अनुसार अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन को निम्न कार्य अवश्य शामिल करने चाहिएं:
- सरकारी और कॉर्पोरेट सेंसरशिप को उजागर करती पर्दाफ़ाश खबरों को इन्टरनेट पर प्रसारित करना और उन्हें सभी सोशल मीडिया माध्यमों द्वारा फैलाने के साथ साथ छपे पत्रों, ब्रोशर और पुस्तिकाओं आदि द्वारा लोगों तक पहुंचाने के लिए एक तरीकेवार अभियान विकसित करना।
- इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के खतरे के बारे में लेखों, वीडियो, साक्षात्कार, ग्राफिक्स और अन्य सामग्री को साझा करने में एक-दूसरे की सहायता कर जागरूकता बढ़ाना।
- इंटरनेट सेंसरशिप के खिलाफ अपने कार्यस्थल, पड़ोस और विद्यालयों में सामूहिक चर्चा व बैठकें करना।
- राज्य सरकारों व सेंसर द्वारा लक्षित उन वेबसाइटों, समूहों व व्यक्तियों का प्रचारित करने के लिए संसाधनों को एकत्र करना।
इंटरने सेंसर और लोकतांत्रिक अधिकारों को नष्ट करती सरकारों और निगमों की साज़िश के विरुद्ध एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिद्वंदी की शुरुआत के लिए गठबंधन के सिद्धांतों और कार्यों पर समझौता एक प्रभावी कदम होगा।
किसी भी तरह की भागीदारी एकसमान विचारधारा पर नहीं होती है। इस तरह के समाजवादी, युद्ध विरोधी व प्रगतिशील वेबसाइट्स अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन में भी कई राजनीतिक बिन्दुओं पर व्यापक विचार और विवाद होंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सहभागी वेबसाइटें व संगठन अपने स्वतंत्र कार्य को जारी रखें।
विश्व सोशलिस्ट वेब साइट अन्य संगठनों के कार्यक्रमों पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं रखेगी और न ही इस एकता के हित में अपने समाजवादी व राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर किसी असैद्धान्तिक प्रतिबंध को स्वीकार करेगी।
हालांकि, फ़ोर्थ इंटरनेशनल अंतर्राष्ट्रीय समिति की इंटरनेट उपस्थिति के रूप में, वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट अपने समाजवादी व मार्क्सवादी नीतियों, कार्यक्रमों और विश्लेषण को जारी रखेगी। हम प्रौद्योगिकी एकाधिकार अधिग्रहण और इंटरनेट के लोकतांत्रिक व अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण की स्थापना के लिए हर संभव समर्थन तलाश करेंगे। डब्ल्यूएसडब्लूएस इस बात को अच्छी तरह समझता है कि एक समाजवादी समाज की स्थापना व पूंजीवादी व्यवस्था के अंत के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी व लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा प्रभावी रूप से करनी होगी।
डब्ल्यूएसडब्लूएस इस बात पर बल देगा कि शक्तिशाली पूंजीवादी देशों और विशाल बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा किया जा रहे इंटरनेट बैन के खिलाफ़ लड़ाई में शक्तिशाली अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग को इसमें केवल एक विरोध के लिए शामिल किया गया है। अविभाज्य श्रमिक वर्ग में यह समझ स्थापित करना बेहद महत्वपूर्ण है कि ये लड़ाई उनके हितों की रक्षा के साथ साथ उनके जीवन स्तर, कामकाजी परिस्थितियों और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए बेहद ज़रूरी है। आज अपने संघर्षों की लड़ाई के लिए किसी भी देश के श्रमिकों द्वारा सोशल मीडिया और वैकल्पिक समाचारों तक पहुँच बनाना बेहद ज़रूरी है। इंटरनेट तक पहुंच द्वारा लोकतंत्र, समाजवाद और समानता की इस वैश्विक लड़ाई में मज़दूर वर्ग को अंतर्राष्ट्रीय एकता की सुविधा हासिल होगी।
अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए श्रमिक वर्ग की केवल भागीदारी ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा करना श्रमिक वर्ग के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। विश्व सोशलिस्ट वेब साइट ऐसा मानती है कि इंटरनेट सेंसरशिप के खिलाफ इस संघर्ष को लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जाएगा व उनके अपना संघर्ष होने के नाते इसे दुनिया भर के श्रमिक वर्ग से समर्थन मिलेगा।
इंटरनेट पर सरकार-कॉर्पोरेट नियंत्रण और सेंसरशिप के खिलाफ लड़ाई में गठबंधन के काम व चर्चा के दौरान हम इस कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों के क्रांतिकारी व समाजवादी दृष्टिकोण को मनाने की कोशिश करेंगे।
वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट समाजवाद, युद्ध विरोधी व प्रगतिशील वेबसाइट्स के इस अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के काम में सहयोग के लिए सभी समाजवादी, युद्ध विरोधी और प्रगतिशील वेबसाइटों, संगठनों और कार्यकर्ताओं की भागीदारी का स्वागत करती है।
किसी भी वेबसाइट अथवा संगठन के प्रतिनिधि, जो इस गठबंधन में रूचि रखते हैं अथवा शामिल होना चाहते हैं, अपने प्रश्न endcensorship@wsws.org पर भेज सकते हैं। जो व्यक्ति गठबंधन के कार्यों में भाग लेना चाहते हैं, वे इस फॉर्म को जमा करें।