बैंगलोर से पचास किलोमीटर दूर बिदाड़ी में दो टोयोटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लिमिटेड प्लांट्स के तीन हज़ार कर्मचारी कर्नाटक सरकार के काम पर लौटने संबंधी आदेश की अवहेलना करते हुए बुधवार को भी हड़ताल पर हैं I हड़ताल तोड़ने के उद्देश्य से पिछले करीब एक महीने से से कर्मचारियों को प्लांट के बाहर रखा गया है I इस हड़ताल की शुरुआत के एक दिन पहले (नवंबर ९),एक यूनियन लीडर को निलंबित किया गया I
कर्मचारियों को बाहर रखने के तीन दिन बाद टोयोटा ने चुन चुनकर 39 कर्मचारियों को ‘ग़लत आचरण’ के आरोप में निलंबित कर दिया जबकि उस वक़्त प्लांट बंद था I अपने चालीस साथियों के निलंबन की वापसी होने तक कर्मचारियों ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया है I
मंगलवार को कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री सी एन अश्वत नारायण (जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं) ने कंपनी के अधिकारियों, टीकेएम कर्मचारी यूनियन और राज्य सरकार की बैठक के बाद हड़ताल और तालाबंदी ख़त्म करने का फ़ैसला घोषित किया I उनकी इस घोषणा ने साफ़ किया कि हड़ताल तोड़ने का आदेश शासक वर्ग के उस उद्देश्य से प्रभावित है जो भारत को चीन से अधिक सस्ता श्रम उपलब्ध कराने का मंच बनाना चाहता है I उन्होंने कहा,’ दुनिया भारत को चीन का विकल्प मान रही है और जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान जैसे देश कर्नाटक में दुकानें खोलने के लिए उत्सुक हैं. ऐसी स्थिति में, हड़ताल और तालाबंदी की कोई बात नहीं होनी चाहिए” I
टीकेएम ऑटो प्लांट्स में जापानी ऑटो कंपनी टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन की 89% हिस्सेदारी है, जबकि भारतीय कंपनी किर्लोस्कर ग्रुप की भागीदारी 11% है I बिदाड़ी के 432 एकड़ में फैले औद्योगिक परिसर में 6,500 दिहाड़ी और वैतनिक कर्मचारी हैं जिसकी वार्षिक क्षमता 3,10,000 वाहन बनाने की है I कर्मचारी भारतीय बाज़ार के लिए एमपीवी (मल्टी परपज़ व्हिकल), इनोवा, फॉर्च्यूनर एसयूवी, कोरोना और कैमरी पैसेंजर कारें बनाते हैं I
वर्तमान संघर्ष तब शुरू हुआ जब TKMEU के कोषाध्याक्ष उमेश गौड़ा अलूर 9 नवंबर को प्रबंधन के पास कर्मचारियों की असेंबली लाइन पर असहनीय गति की शिकायत पहुँचाने गए I तर्क बढ़ता रहा जिसके बाद प्रबंधन ने अलूर को निलंबित कर दिया I कर्मचारियों ने अलूर की वापसी और दमनकारी कामकाजी परिस्थितियों को ख़त्म करने की माँग को लेकर हड़ताल शुरू कर दी I
एक हड़ताली कर्मचारी ने WSWS को बताया: “टोयोटा अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में कर्मचारियों के साथ के साथ क्रूरता से पेश आती है I 2014 में जब कर्मचारी हड़ताल पर गए थे, मैनेजमेंट ने तालाबंदी की घोषणा करके 32 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था I जब तालाबंदी ख़त्म की गई तब प्रबंधन ने निलंबित कर्मचारियों को तब तक वापस ना लेने की ज़िद की जब तक उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक जाँच ना हो I जाँच के उपरांत तीन साल बाद महज़ 12 कर्मचारियों को वापस लिया गया. सात कर्मचारियों की क़िस्मत का फ़ैसला अभी बाक़ी है I बाक़ी निलंबित कर्मचारियों ने कंपनी छोड़ने का फ़ैसला ले लिया I”
प्लांट के हालात के बारे में उस कर्मचारी ने कहा: ‘प्”बंधन यूनियन नेताओं से दुर्व्यवहार करता है और उनका सम्मान नहीं करता I जब पिछले जून में प्लांट फिर खुले तब कोविड-19 सुरक्षा नियमों के पालन के लिए कम कर्मचारियों को काम पर लाया गया I इसका मतलब है कि कम कर्मचारियों को उतना ही उत्पादन करने के लिए कहा गया जितना सारे पहले करते थे I हम हर 3 मिनट में एक इनोवा कार बनाते थे, लेकिन अब हमें 2.5 मिनट में ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है I ”
यह हालात वैसी ही हैं जैसी उत्तर भारत के हरियाणा के मानेसर प्लांट में मारुति सुज़ुकी के कर्मचारियों को झेलनी पड़ीं I 2011-12 में उन्होंने कंपनी की कठपुतली यूनियन को तोड़ने और अपनी स्थिति सुधारने के लिए साल भर लंबा संघर्ष किया I मारुति सुज़ुकी प्रबंधन और कांग्रेस नीत हरियाणा सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिए नई गठित मारुति सुज़ुकी कर्मचारी यूनियन (MSWU) को तबाह कर दी और ग्लोबल निवेशकों को दिखाया कि औद्योगिक दासता के ख़िलाफ़ कोई विरोध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा I मार्च 2017 में MSWU के समूचे नेतृत्व समेत 13 कर्मचारियों को हत्या के आरोप गढ़कर उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी गई I
“फ़्लोर पर तैनात सुपरवाइज़र ही टॉयलेट जाने की इजाज़त देते हैं…जैसे ही वो तुम्हें जाने देते हैं वैसे ही लौटने तक वक़्त गिनना शुरू कर देते हैं. गिने गए वक़्त के हिसाब से सैलरी कटती है…अगर कर्मचारी उत्पादन के लक्ष्य को पूरा नहीं करते उन्हें तनख़्वाह नहीं मिलती I”
प्रबंधन ने जब हड़ताली TKM कर्मचारियों को बाहर निकालते हुए परिसर छोड़ने को कहा तो उन्होंने परिसर के बाहर धरना करनी शुरू कर दी I हड़ताल जारी रखते हुए कर्मचारी प्रबंधन द्वारा डराने वाली प्रयासों को निष्फल बना रहे हैं.
तालाबंदी को सही ठहराने की निंदनीय कोशिश में प्रबंधन ने मीडिया को बताया कि वो कोरोना संक्रमण से कर्मचारियों को बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं I “हड़ताल के दौरान कर्मचारी अवैध रूप से कंपनी परिसर में ठहरकर कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे जिससे फ़ैक्ट्री में ख़तरनाक स्थिति पैदा हो रही थी I टीकेएम अधिकारियों ने कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई को ध्यान में रखकर कर्मचारियों के लिए तालाबंदी का एलान कर दिया I”
वास्तव में तो टीकेएम प्रबंधन कर्मचारियों की सुरक्षा से अनभिज्ञ है. मोदी सरकार के 55 दिवसीय लॉकडाउन के बाद प्लांट 26 मई को फिर खुला था I प्रबंधन ने दावा किया था कि नए सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू किया जा रहा है लेकिन 7 और 16 जून को दो करमचारियों का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव निकला जिसके बाद प्लांट को फिर बंद करना पड़ा I
9 जून को जब फिर से प्लांट खुला तो कम कर्मचारी बुलाए गए और ऑफिस स्टाफ़ को वर्क फ़्रॉम होम का निर्देश दे दिया गया I तब से असेंबली लाइन में कर्मचारियों को भरकर खड़े रखने के कारण हर दिन एक दर्जन कर्मचारी संक्रमित हो रहे हैं. 28 अक्टूबर तक 565 कर्मचारी पॉज़िटिव पाए गए और दो की मौत हो गई I इससे यह साफ़ है कि कोरोना से बचाव के लिए कर्मचारियों को बाहर निकालने की बात प्रबंधन का खुला झूठ है I राज्य सरकार की तरह प्रबंधन का असल उद्देश्य हड़ताल को तोड़ना और कर्मचारियों को झुकने के लिए मज़बूर करना है I
मीडिया सूत्रों के मुताबिक़, हॉलीडे सीज़न कंपनी के लिए समृद्ध रहा है, और इस समय में बिक्री में लगभग 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है I ये अब भी पिछले साल की अक्टूबर की बिक्री से 1.87% कम है I ऐसे हालातों में, कंपनी जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि छुट्टियों के दौरान बिक्री में होनेवाली वृद्धि का लाभ ले सके चाहे कोरोना संक्रमण की वजह से कर्मचारियों को कोई भी क़ीमत क्यों ना चुकानी पड़े I
टीकीएम प्रबंधन ने TKMEU से बातचीत फिर से शुरू कर दी है ताकि हड़ताल ख़त्म हो और उत्पादन फिर से शुरू हो सके. कर्मचारियों को काम पर लौटाने के लिए प्रबंधन ने सरकारी आदेश का भी उपयोग किया है I
ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि TKMEU के अधिकारी प्रबंधन और सरकार की मांगों को स्वीकार करेंगे और हड़ताल को जल्द समाप्त करेंगे I वैसे, ना TKMEU और ना ही किसी अन्य यूनियन के पास कॉरपोरेट हमले के ख़िलाफ़ लड़ने की कोई योजना है I इसी वजह से ऐसे यूनिओयनों तमाम पूँजीवादी दलों बीजेपी और कांग्रेस से लेकर दोनों प्रमुख स्टालनवादी दलों कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) और पुरानी एवं छोटी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का समर्थन प्राप्त है.
कर्नाटक और बाक़ी देश के ऑटो एवं अन्य कर्मचारियों को इकट्ठा करने के बजाय TKMEU के अधिकारी प्रबंधन और सरकारी अधिकारियों से अपील कर रहे हैं I TKMEU के अध्यक्ष प्रसन्ना कुमार ने बिज़नेस लाइन को बताया, “काम का बोझ काफ़ी है.. हमें व्यक्तिगत समस्याओं के लिए भी छुट्टी नहीं मिलती… हम चाहते हैं कि वो हमारे निवेदन को मानवीय आधारों पर सुनें I” उन्होंने कहा कि यूनियन ने श्रम विभाग को भी कर्मचारियों की शिकायतों के निवारण हेतु खत लिखा है.
TKMEU ने हड़ताल पर अपना फ़ैसला सुनाने के लिए सुबह हड़ताली कर्मचारियों की बैठक प्लांट के बाहर धरने प्रदर्शन की जगह बुलाई थी I इसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए संभावना है कि यूनियन राज्य सरकार के आदेशों के सामने हथियार डाल देगी I अप्रैल 2014 में कांग्रेस की राज्य सरकार के ऐसे ही आदेश के सामने TKMEU ने एक महीने की हड़ताल तुरंत ख़त्म कर दी थी और एक ऐसा समझौता किया गया था जिसमें कर्मचारियों की एक भी माँग नहीं मानी गई थी.
ऑटो कर्मचारियों और कामकाजी वर्ग के दूसरे हिस्सों के शासकीय दमन से साफ़ दिखता है कि भारतीय श्रमिकों के लिए एक स्वतंत्र राजनीतिक रणनीति की ज़रूरत है I दूसरी अन्य वैश्विक ऑटो कंपनियों की तरह टोयोटा भी अपने अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशंस के पुर्नगठन में तेज़ी लाने, नौकरियों को खत्म करने और श्रम लागत को कम करने के लिए महामारी का उपयोग कर रही है I अंतर्राष्ट्रीय कॉरपोरेशंस से लड़ने के लिए ऑटो कर्मचारियों को एक वैश्विक रणनीति तथा अपने संघर्षों में एकजुटता की ज़रूरत है I
भारत की ट्रेड यूनियन्स अधिकांशतः पूँजीवादी दलों से जुड़ी हैं, यहाँ तक कि स्टालिनवादी भी राष्ट्रीय ढांचे से बंधे हैं I दुनियाभर की राष्ट्रवादी यूनियनों की भाँति उन्होंने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए श्रमिक वर्ग के विरोध को दबाकर और श्रम लागत में कटौती को मंज़ूर करके वैश्वीकरण का जवाब दिया है I
अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए श्रमिकों को नए संगठनों की ज़रूरत है, जिनकी एक्शन कमेटियों का नियंत्रण आम श्रमिक के पास हो, साथ ही ज़रूरत नई सामाजिक राजनीतिक रणनीति की भी है I तालाबंदी को टोयोटा प्लांट के नियमित, अनुबंधित और प्रशिक्षु कर्मचारियों द्वारा हड़ताल में बदल दिया जाना चाहिए और हर उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र में श्रमिक वर्ग का व्यापक एकत्रीकरण होना चाहिए.
टोयोटा जैसी बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशंस के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारतीय कर्मचारियों और ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, यूरोप के अपने वर्ग के भाई बहन - जो नौकरियों और जीवन स्तर की रक्षा के लिए साझी लड़ाई लड़ हैं और पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं - के साथ एकत्रीकण की ज़रूरत है!