यह लेख 17 जून 2023 को मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था. उसका ये हिंदी अनुवाद है.
चौथे इंटरनेशनल की इंटरनेशनल कमेटी लियोन ट्रॉटस्की के नाती एस्टेबैन वोल्कोव के 16 जून 2023 को हुए देहांत पर भारी दुख प्रकट करती है. वो 97 साल के थे. वोल्कोव ने मैक्सिको सिटी में अंतिम सांस ली, जहां वो 1939 में पहुंचने के समय से ही रह रहे थे.
हालांकि वो व्यक्तिगत रूप से क्रांतिकारी समाजवादी राजनीति में सक्रिय नहीं थे लेकिन एस्टेबैन वोल्कोव अपने नाना और परिवार के शहीद हुए सदस्यों की याद और उनके उसूलों को लेकर ताउम्र वफ़ादार बने रहे.
उनका जन्म 7 मार्च 1926 में सोवियत संघ में हुआ था और उनका रूसी नाम सेवोलोद था. वो ट्रॉटस्की की बेटी ज़िनाइदा के बेटे थे. ज़िनाइदा के पति प्लाटोन वल्कोव ट्रॉटस्कीवादी वामपंथी विपक्ष के अगुवा सदस्यों में एक थे. जब सेवोलोद छोटे थे उनके पिता को गिरफ़्तार कर लिया गया और स्टालिनवादी सरकार द्वारा हत्या कर दी गई. ज़िनाइदा को अपने सबसे छोटे बेटे, जिन्हें 'सेवा' के नाम से जाना जाता था, को लेकर इस्तांबुल के पास एक द्वीप प्रिंकिपो में निर्वासन में रह रहे ट्रॉटस्की से मिलने की इजाज़त दे दी गई.
टीबी और डिप्रेशन से जूझ रहीं ज़िनाइदा इलाज़ के लिए 1931 के अंत में जर्मनी गई थीं. वो अकेले ही गई थीं और उम्मीद थी कि वो जल्द ही 'सेवा' से फिर मिलेंगी. लेकिन 20 फ़रवरी 1932 को स्टालिन की सरकार ने ट्रॉटस्की की सोवियत नागरिकता रद्द कर दी. इसके साथ ही ट्रॉटस्की के परिवार के सभी सदस्यों, जिसमें ज़िनाइदा और 'सेवा' भी शामिल थे, उनकी भी नगारिकता रद्द हो गई. इस नौकरशाही वाले आदेश के बारे में ट्रॉटस्की ने कहा था- 'यह मेरे ख़िलाफ़ घिनौनी और मूर्खतापूर्ण बदले की कार्रवाई है.' जानबूझ कर की गई इस बदले की कार्रवाई ने ज़िनाइदा के लिए जर्मनी में और टिकने के लिए मुश्किल हालात पैदा कर दिए.
बिना नागरिकता, उन्हें 'सेवा' से मिलने की व्यवस्था करने में महीनों लग गए. लेकिन जब तक वो बर्लिन पहुंचीं, ज़िनाइदा का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत बिगड़ चुका था. पांच जनवरी 1933 को ज़िनाइदा वोल्कोव ने आत्महत्या कर ली. 11 जनवरी 1933 को सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय कमेटी को लिखे एक पत्र में ट्रॉटस्की ने अपनी बेटी की मौत के हालात के बारे में बताया था.
उन्होंने लिखा, 'जब जनरल श्लीचर की पुलिस ने स्टालिन के एजेंटों के साथ सांठ गांठ कर मेरी बेटी को बर्लिन से निष्कासित करने का फैसला किया तो 'सेवा' को अपनी मां के पास रहते एक हफ़्ता ही बीता था. लेकिन वे उन्हें कहां भेजते? तुर्की? या प्रिंकिपो द्वीप? लेकिन बच्चे को स्कूल भी तो जाना था. मेरी बेटी को लगातार चिकित्सकीय देखरेख और काम और पारिवारिक ज़िंदगी के समान्य हालात चाहिए थे. ये नया झटका उस बीमार व्यक्ति के बर्दाश्त से बाहर था. पांच जनवरी को उसने गैस से अपना दम घोंट लिया. वो 30 साल की थी.'
हिटलर को सत्ता में आए एक महीने से कम ही हुआ था कि ट्रॉटस्की के सबसे बड़े बेटे लेव सेदोव अपने छह साल के भतीजे के साथ जर्मनी से निकल गए. 1935 में 'सेवा' अपने अंकल के साथ पेरिस पहुंचा, जहां सेदोव ने यूरोप में चौथे इंटरनेशनल की अगुवाई की. फ़रवरी 1938 में सोवियत सीक्रेट पुलिस (जीपीयू) ने सेदोव की हत्या कर दी. सीक्रेट पुलिस मुखबिर था मार्क बोरोव्स्की जो चौथे इंटरनेशनल के पेरिस हेडक्वार्टर में एक एजेंट बनकर घुसपैठ कर ली थी.
बच्चे की कस्टडी के लिए एक लंबे संघर्ष के बाद 'सेवा', अगस्त 1939 में अपने नाना ट्रॉट्सकी और सौतेली नानी नतालिया सेदोवा के पास मैक्सिको पहुंचा.
कोयोआकन में 'सेवा' (बीच में) अपने नामा ट्रॉटस्की और नतालिया सेदोवा के साथ. (फ़ोटोः मुसियो कासा डी लियोन ट्रॉटस्की)
24 मई 1940 को सुबह के समय ट्रॉटस्की की ज़िंदगी पर स्टालिनवादी गैंग ने हमला किया, जिसकी अगुवाई एक पेंटर डेविड अल्फ़ारो सिक्वेरोस कर रहा था. ट्रॉटस्की जहां रह रहे थे, कोयोआकन विला के दरवाज़ों को एक स्टालिनवादी एजेंट रॉबर्ट सेल्डन हार्टे ने खोला था, जिसने किसी तरह सोशलिस्ट वर्कर्स पार्टी में घुसपैठ कर ली थी. विला में घुसते ही हत्यारों के दस्ते ने ट्रॉटस्की और उनके नाती के बेडरूम की ओर मशीन गन से अंधाधुन फ़ायरिंग की. इस हमले को याद करते हुए ट्रॉटस्की ने अपने एक लेख 'स्टालिन मेरी मौत चाहते हैं' में लिखाः
'जब फ़ायरिंग बंद हुई तो हमने अपने नाती को पड़ोस के कमरे से चिल्लाते सुनाः 'नाना!' बंदूकों की तड़तड़ाहट के बीच अंधेरे में उस बच्चे की आवाज़, उस रात की सबसे झकझोर देने वाली याद है. जैसा गोली के निशान दरवाजे और दीवार पर थे, उससे लगता है कि पहली गोली बिस्तर पर तिरछे लगी. ठीक इसके बाद लड़का कूद कर बिस्तर के नीचे छिप गया. घबराए हुए एक हत्यारे ने बिस्तर पर गोली चला दी. गोली बिस्तर को भेद कर हमारे नाती के पैर के अंगूठे में लगी और फिर फर्श में समा गई. हत्यारों ने आग लगाने वाले दो बम फेंके और हमारे नाती के बेडरूम से चले गए. 'नाना' चिल्लाते हुए वो आंगन की ओर अपने पीछे खून के निशान छोड़ते हुए भागा. फ़ायरिंग के बीच वो एक गार्ड के कमरे में घुस गया.'
'पोते की चिल्लाहट सुन कर मेरी पत्नी, पहले से ही खाली उसके कमरे में गई. वहां अंदर फ़र्श, दरवाजे और छोटी सी कैबिनेट जल रही थी. मैंने उससे कहा, 'उन्होंने सेवा का अपहरण कर लिया.' ये सबसे दर्दनाक पल था. गोलियों की आवाज़ अभी भी आ रही थी, लेकिन वो हमारे बेडरूम से दूर आंगन में कहीं या दीवार के पार चल रही थीं. टेररिस्ट पीछे हटने के लिए कवर फ़ायर कर रहे थे. मेरी पत्नी ने जल्दबाज़ी में कालीन से आग बुझाने की कोशिश की. इस घटना के एक हफ़्ते बाद तक पत्नी को अपने जलने का इलाज कराना पड़ा था.'
चमत्कारिक रूप से इस हमले में ट्रॉटस्की और नतालिया बच गए और 14 साल का 'सेवा' अपहृत नहीं हुआ. लेकिन इसके तीन महीने बाद ही ट्रॉटस्की पर एक हमला हुआ लेकिन इसमें वो अपने आपराधिक मकसद में कामयाब रहे. चौथे इंटरनेशनल के अंदर घुसपैठिया एक और स्टालिनवादी एजेंट सिल्विया एजेलॉफ़ की सटीक मदद से जीपीयू हत्यारा रैमोन मर्केडर को कोयोआकन विला और ट्रॉटस्की तक पहुंचने का रास्ता मिल गया. 20 अगस्त 1940 को रैमोन ट्रॉटस्की के ऑफ़िस में घुस गया और हमले को अंजाम दिया.
जब ये हमला हुआ तो एसटेबैन वोल्कोव विला में नहीं थे. लेकिन वो इस घटना के तुरंत बाद अपने घर पहुंचे. 2003 में दिए एक इंटर्व्यू में वोल्कोव ने उस भयानक घटना का कुछ इस प्रकार ज़िक्र किया थाः
'जब मैं पढ़ने गया तो मुझे कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है. लौटा तो मैंने देखा लेव डेविडोविच घायल हैं और ज़मीन पर पड़े हैं, लेकिन सुरक्षा गार्डों और अन्य लोगों ने मुझे और करीब जाने से रोक दिया. मेरे नाना ने कह रखा थाः 'सेवा को अंदर मत आने देना, बच्चे को ये सब नहीं देखने देना चाहिए.' बाद में उन्हें पुरुष नर्स स्ट्रेचर पर ले गए. उन्होंने अंतिम बार बगीचे को पार किया.'
एस्टेबैन वोल्कोव ताउम्र मैक्सिको में रहे. नतालिया सेदोवा की 1962 में 79 साल की उम्र में मौत तक वो उनसे संपर्क बनाए रखा. वो इंजीनियर बने और अपने क्षेत्र में काफ़ी काम किया. वोल्कोव शादीशुदा थे और उनकी चार बेटियां हैं.
अपने नाना की मौत के बाद 83 सालों तक ज़िंदा रहे एस्टेबैन वोल्कोव ने जिस तरह लियोन ट्रॉटस्की की विरासत की रक्षा की वो बहुत काबिले तारीफ़ है. उन्होंने कोयोआकन में एवेनिडा विएना में विला को निजी पहलकदमी से म्यूज़ियम का रूप दिया, जहां महान क्रांतिकारी ने अपनी ज़िंदगी के अंतिम 16 महीने बिताए थे.
टॉटस्की के क़रीबी परिवार के अंतिम सदस्य के रूप में एस्टेबैन वोल्कोव सम्मान के हकदार हैं, स्टालिन की सरकार के वहशी अपराधों ने उनके पिता, मां, अंकल, नाना और नानी को उनसे छीन लिया. वोल्कोव ट्रॉटस्की के अंतिम वर्षों में उनके साथ रहे, 24 मई 1940 को हुए हमले में वो खुद घायल हुए और फिर 20-21 अगस्त 1940 को हुई भयानक घटना के वो गवाह रहे. इसके बाद के 80 सालों में वो समाजवादी सिद्धांतों और अपने नाना की याद के प्रति वफ़ादार बने रहे.