यह आलेख 15 जुलाई 2024, को अंग्रेजी में छपे लेख The On the attempted assassination of Donald Trump का हिंदी अनुवाद है।
बीते शनिवार को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के पीछे की परिस्थियों के बारे में अभी भी कई अनुत्तरित सवाल बने हुए हैं। हमले के पीछे जो भी कारण रहे हों, एक बात तो निश्चित है किः पूरे राजनीतिक सत्ता तंत्र का दक्षिणपंथ की ओर तेजी से झुकाव बढ़ेगा।
रविवार को दिए अपने बयान में राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि कथित शूटर के बारे में जांच चल रही है। उसकी पहचान 20 साल के थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के रूप में की गई है। बाइडन ने कहा, “अभी तक हमें ये पता नहीं चला है कि शूटर की मंशा क्या थी। हमें उसके विचारों या जुड़ाव के बारे में कुछ पता नहीं है। हमें नहीं पता है कि उसे किसी अन्य से मदद या शह मिली थी या उसने किससे बात की थी कि नहीं।”
इस हमले में गोली लगने से एक ट्रंप समर्थक की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। जहां ट्रंप भाषण दे रहे थे वहां से वो छत साफ़ तौर पर दिखाई दे रही थी जहां क्रूक्स था- हमले की परिस्थितियां साफ़ तौर पर गंभीर सुरक्षा चूक को दर्शाती हैं। यह दूरी महज 150 गज थी, यानी राइफ़ल के रेंज में थी। सीक्रेट सर्विस स्नाइपर द्वारा मारे जाने से पहले उसने क़रीब आधा दर्जन गोलियां चलाईं।
अभिजात शासक वर्ग में ही तीखे विभाजन को देखते हुए, ख़ासतौर पर विदेशी नीति के मामले में, फिलहाल, किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
हालांकि इस शुरुआती समय में ही कुछ निश्चित राजनीतिक नतीजों की कल्पना की जा सकती है। जानलेवा हमला केवल अमेरिकी राजनीतिक तंत्र के तीखे संकट का ही नहीं बल्कि पूरे समाज के संकट को दिखाता है।
ऐसा हमेशा से होता आया है कि जब भी अमेरिका में गहरी राजनीतिक और सामाजिक दरारें उभर कर सामने आती हैं, राजनीतिक सत्ता तंत्र और मीडिया खोखली और आत्म भ्रामक बातों का सहारा लेते हैं। रविवार को बाइडन के बयान में भी यही निहित था कि, “इस तरह की हिंसा या किसी भी तरह की हिंसा की अमेरिका में कोई जगह नहीं है।”
यह अमेरिका की डिज़्नीलैंड वाली छवि है जिसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। साल 2022 में अमेरिका में शूटिंग की कुल 21,593 घटनाएं हुईं। हत्याओं की एक विशेष श्रेणी है जिसे “सामूहिक हताहत की घटनाओं” के नाम से जाना जाता है। हर साल अमेरिकी पुलिस किसी न किसी बहाने 1,000 लोगों की हत्याएं करती है।
लेकिन घरेलू हिंसा, दुनिया में हिंसा भड़काने के लिए अमेरिका की प्रमुख भूमिका से गहरे तौर पर जुड़ी हुई है। पिछले 30 सालों से अमेरिकी सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कार्रवाईयों के कारण मारे गए लोगों की संख्या करोड़ों में है।
बाइडन ने कई मौकों पर घोषणा किया है कि राजनीतिक हिंसा की घटनाएं छिटपुट हैः “हम ऐसे नहीं हैं”- यह उनका पसंदीदा वाक्य है। यह टिप्पणी शायद बाइडन के बुढ़ापे का सबसे सटीक सबूत है। उनके ही जीवन में राजनीतिक हत्याओं के कई मामले हुए हैं। इसमें सबसे राजनीतिक उथल पुथल वाली घटनाएं थीं- 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ़ केनेडी, 1965 में मैलकम एक्स और 1968 में मार्टिन लूथर किंग और सीनेटर रॉबर्ट एफ़ केनेडी की हत्या। और वो ये भी जानते हैं कि इन चारों हत्याओं में सरकार की साज़िश भी शामिल थी।
ख़ास तौर पर जानलेवा हमले को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी और बाइडन की प्रतिक्रिया पूरी तरह कायराना और द्विअर्थी रही है। इस असफल हमले के बाद ये कहना पर्याप्त होगा कि व्यक्तिगत हिंसा कोई भी प्रगतिशील मकसद नहीं हासिल कर सकती, चाहे निशाना कोई भी हो या हमलावर की मंशा कुछ भी रही हो।
लेकिन डेमोक्रेट सदस्य इससे भी आगे चले जाते हैं, वे फ़ासीवादी पूर्व राष्ट्रपति के प्रति एकजुटता दिखाते हैं, उनकी बड़ाई करते हैं और उनके प्रति हमदर्दी जताते हैं, जिन्हें बाइडन ने रविवार रात लगातार ‘डोनाल्ड’ कह कर पुकारा। किसी भी डेमोक्रेट ने इस उजागर तथ्य की बात नहीं कि ट्रंप ने लगातार हिंसा का आह्वान किया और दक्षिणपंथी ताक़तों द्वारा हमले का समर्थन किया था।
साल 2017 में ट्रंप ने उन नव नाज़ियों और फ़ासीवादियों की तारीफ़ की, जिन्होंने वर्जीनिया के शार्लोट्सविले में गोरा बर्चस्ववादी मार्च निकाला था। 2020 के दौरान कोविड-19 लॉकडाउन के विरोध में प्रांतों की राजधानियों में मिलिशिया ग्रुपों द्वारा एक के बाद एक किए गए हथियारबंद हमलों को भड़काया, जिसमें मिशिगन के गवर्नर ग्रेचेन व्हाइटमर के अपहरण और उनकी हत्या करने की असफल कोशिश भी शामिल थी। साल 2020 में विस्कांसिन के केनोशा में पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ निकाले गए प्रदर्शन मार्च पर संगठित होकर हमला करने वाले किशोर फ़ासीवादी काइल रिटेनहाउस के जनसंहारक हमलों की ट्रंप ने ख़ासतौर पर तारीफ़ की थी।
राजनीतिक हिंसा का चरम 6 जनवरी 2021 को पहुंचा, जब ट्रंप द्वारा वॉशिंगटन में बुलाई गई भीड़ ने कैपिटल हिल में दंगा किया और कांग्रेस के सदस्यों की हत्या करने या पकड़ने की कोशिश की और यहां तक की ट्रंप के अपने उप राष्ट्रपति माइक पेंस को भी निशाना बनाया गया। बाइडन को चुनावी जीत का सर्टिफ़िकेट दिए जाने को रोकने और ट्रंप को डिक्टेटर प्रेसिडेंट बनाने के लिए ये सब कुछ किया गया था।
रविवार रात को दिया गया बाइडन का भाषण पूरी तरह खोखली और वाहियात बातों से भरा था। उन्होंने एलान किया, “हम हिंसा को सामान्य बात बनने नहीं दे सकते। यह समय तापमान कम करने का है।” उन्होंने कहा, “चाहे जो भी असहमतियां हों, राजनीति को शांतिपूर्ण बहस का क्षेत्र होना होगा। हम एक सभ्य और शालीन अमेरिका चाहते हैं।”
सभ्य और शालीन!… बाइडन प्रशासन और पूरे राजनीतिक सत्ता तंत्र ने ग़ज़ा में जनसंहार को शह दी है जिसमें करीब दो लाख लोग मारे गए हैं। यह आंकलन लांसेट मेडिकल जर्नल द्वारा प्रकाशित अनुमानों के मुताबिक है। विदेशों में जनसंहारक युद्धों में अमेरिकी साम्राज्यवाद की मिलीभगत का असर निश्चित तौर पर खुद अमेरिका में राजनीतिक परिस्थिति पर पड़ा है।
ट्रंप पर हमले के मौके का बेझिझक इस्तेमाल करते हुए रिपब्लिकन पार्टी ने डेमोक्रेट सदस्यों पर हमला उकसाने के आरोप लगाए। जबकि डेमोक्रेट का जवाब बिल्कुल रीढ़विहीन समर्पण जैसा था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, “नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बाइडन के प्रचार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि बाइडन का प्रचार अभियान और व्हाइट हाउस, आने वाले दिनों में ट्रंप पर शाब्दिक हमला करने की बजाय राजनीतिक हिंसा की निंदा करने को लेकर राष्ट्रपति के इतिहास पर केंद्रित रहेगा, जिसमें इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष को लेकर कैंपस प्रदर्शनों से उपजी ‘अराजकता’ की तीखी आलोचना भी शामिल है।”
डेमोक्रेट पार्टी का यह जवाब असल में दो चिंताओं के कारण है। पहला, वैश्विक युद्ध को हवा देना जारी रखने के लिए, जोकि बाइडन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी की केंद्रीय प्राथमिकता है, वे हमेशा से रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन और सहयोग बनाए रखना चाहते हैं, भले ही वे 2024 के बाद सत्ता में आए जाएं।
दूसरा, सामाजिक विस्फ़ोट के भड़कने के डर से डेमोक्रेट पार्टी अमेरिका में धीरे धीरे बढ़ते राजनीतिक विवाद को लगातार ढंकने छुपाने की कोशिश कर रही है। रविवार दो दिए गए बाइडन के भाषण में एक गहरा डर समाया हुआ था कि अमेरिका में पूरा का पूरा सामाजिक और राजनीतिक हालत बिगड़ रहा है।
लगातार अपील का यही कारण है, बाइडन ने भी रविवार को “एकता” की बात की, जोकि ट्रंप भी कह चुके हैं। हालांकि वर्गीय विरोधाभास से जर्जर अमेरिका जैसे देश में कोई “एकता” नहीं हो सकती। एक ऐसे सत्ताधारी वर्ग के साथ “एकता” नहीं हो सकती जो सीधे विश्वयुद्ध और तानाशाही को ओर जा रहा हो।
सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार जोसेफ़ किशोर ने एक्स पर प्रकाशित एक बयान में इसे यूं कहा किः
“एकता” का यह आह्वान असल में सत्ताधारी वर्ग के भीतर एकजुटता की अपील है।
“एकता” के अपने आह्वान में, बाइडन रिपब्लिकन पार्टी से गिड़गिड़ा रहे हैं कि वे पूरे सत्तारूढ़ वर्ग के हितों को चोट पहुंचाने वाले, कार्पोरेट और वित्तीय मुग़लों के अंदर के विभाजन की इजाज़त न दें। क्योंकि विदेशी धरती पर युद्ध और देश में मज़दूर वर्ग पर युद्ध के लिए यह ज़रूरी है। इस तरह की “एकता” हासिल करने के लिए डेमोक्रेट पार्टी हर समझौते को करने के लिए तैयार खड़ी है।
अमेरिकी लोकतंत्र का संकट, लगातार और हर घंटे बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा राष्ट्र की “एकता” नहीं है, बल्कि मज़दूर वर्ग की एकता है।
अमेरिकी लोकतंत्र के संकट का एकमात्र समाधान, स्वतंत्र कार्रवाई के माध्यम से मजदूर वर्ग का हस्तक्षेप और अपने हितों के आधार पर संघर्ष के नए संगठनों का निर्माण करना और एक क्रांतिकारी समाजवादी कार्यक्रम को आगे बढ़ाना है।