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Perspective

न्यूयॉर्क में ममदानी की जीत में राजनीतिक और वर्गीय मुद्दे

यह अनुवाद अंग्रेज़ी के मूल लेख The political and class issues in Mamdani’s victory in New York City का है जो छह नवंबर 2025 को प्रकाशित हुआ था।

ज़ोहरान ममदानी, मंगलवार, 4 नवंबर, 2025 को न्यूयॉर्क में मेयर चुनाव के नतीजे वाली पार्टी में विक्ट्री स्पीच देते हुए। (एपी फोटो/युकी इवामुरा) [AP Photo/Yuki Iwamura]

न्यूयॉर्क सिटी के मेयर के चुनाव में डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ऑफ़ अमेरिका (डीएसए) के सदस्य ज़ोहरान ममदानी की जीत का, सिर्फ़ राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय महत्व की है। हालांकि अमेरिकी और वैश्विक फ़ाइनांस की राजधानी वॉल स्ट्रीट के गढ़ में जीतने वाले ममदानी खुद को 'डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट' यानी लोकतांत्रिक समाजवादी कहते हैं।

लेकिन चुनाव ने इस नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया कि दशकों तक कम्युनिस्ट विरोधी और समाजवाद विरोधी दुष्प्रचार के निशाने पर रखी गई जनता के लिए पूंजीवाद का विकल्प वर्जित है। हकीक़त में, जैसे जैसे पूंजीवाद के प्रति नफ़रत और समाजवाद के प्रति समर्थन बढ़ रहा है, मज़दूरों और युवाओं के व्यापक तबकों का आंदोलन वामपंथी रुझान लिए हुए है।

ममदानी को वोट, सिर्फ़ मौजूदा राजानीतिक सत्ता तंत्र से मोहभंग को ही नहीं दिखाता बल्कि कुछ चंद अमीरों के हाथों में विशाल संपत्ति के केंद्रित होने, रहने खाने की आसमान छूती महंगाई और बुनियादी लोकतांत्रिक और सामाजिक अधिकारों के ख़त्म होते जाने के ख़िलाफ़ ग़ुस्से का भी इज़हार है।

दशकों में सबसे अधिक मतदान के बीच, ममदानी के लिए 10 लाख से अधिक वोट पड़े। कुल 20 लाख मत पड़े, जोकि चार साल पहले हुए चुनावों का दोगुना और साल 1969 के बाद सबसे अधिक है। ममदानी जब प्राइमरी चुनावों के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे तो उन्हें केवल एक प्रतिशत वोट मिले थे। उन्होंने त्रिकोणीय मुकाबले में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, पूर्व डेमोक्रेटिक गवर्नर एंड्रयू कुओमो को 9 प्रतिशत मतों से हरा दिया।

ममदानी को न्यूयॉर्क सिटी के मज़दूर वर्ग वाले पांच इलाक़ों में भरपूर समर्थन मिला और उन ज़िलों में उन्हें भारी अंतर से जीत मिली जहां ग़ैर बराबरी सबसे अधिक है और महंगाई का असर सबसे अधिक दिखता है। उन्होंने हार्लेम में 45 प्रतिशत अंकों से, जमैका, क्वींस में 28 अंकों से, ईस्ट न्यूयॉर्क, ब्रुकलिन में 28 अंकों से, और पार्कचेस्टर, ब्रोंक्स में 27 अंकों से कुओमो को हराया, जो शहर के सबसे ग़रीब और नस्लीय रूप से विविध इलाक़ों में से एक हैं।

सीएनएन एग्ज़िट पोल के मुताबिक़, 45 साल से कम उम्र के 70 प्रतिशत मतदाताओं ने उनका समर्थन किया जबकि कुओमो को 25 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। ममदानी ने उन लोगों के बीच भी भारी जीत दर्ज की जिन्होंने अपनी पारिवारिक आर्थिक स्थिति को 'बहुत बुरा' बताया था और उन लोगों में भी जो ट्रंप और उनके फासीवादी एजेंडे के कट्टर विरोधी थे।

यह चुनाव पूरे राजनीतिक सत्ता तंत्र का एक स्पष्ट नकार था, दोनों राजनीतिक पार्टियों- धुर दक्षिणपंथी रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी मशीन का भी। और ध्यान रखना चाहिए कि इसी सत्ता तंत्र ने कुओमो के प्रचार अभियान के लिए पांच करोड़ डॉलर का काला धन झोंका था। ममदानी का ध्यान आसमान छूती महंगाई पर केंद्रित था, जिसमें मकान के बढ़ते किराए, बच्चों के देखभाल और राशन के खर्चे शामिल थे। और इस मुद्दे ने जनता के दिल के तार को उसी तरह छुआ जैसा अमीरों को झिड़की देने वाली उनकी बयानबाज़ी करती थी। ये अमीर, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में दबदबा क़ायम किए हुए हैं और ट्रंप की विकसित होती तानाशाही के पीछे करबद्ध खड़े हैं।

बेशक ममदानी के चुनाव ने उत्साह पैदा किया है, केवल अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में। डेमोक्रेटिक पार्टी के सत्ता प्रतिष्ठान में खानदानी रईस और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए एंड्रयू कुओमो और दबे कुचले लोगों के झंडाबरदार के रूप में खुद को पेश करने वाले ममदानी के बीच का अंतर, इस उम्मीद को ज़िंदा रखेगा कि एक बुनियादी बदलाव जारी है। हालांकि कुछ बुनियादी सच्चाई को बताना ज़रूरी है, हमें भ्रमों में फंसना नहीं चाहिए बल्कि राजनीतिक और सामाजिक वास्तविकता के तर्क से आगे बढ़ना चाहिए।

सबसे पहले तो, ये ज़रूर कहा जाना चाहिए कि जब वो खुद को एक 'डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट' के रूप में पेश करते हैं, ममदानी एक समाजवादी कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ा रहे होते हैं। अरबपतियों पर थोड़ा टैक्स बढ़ाने, मकान के किराए में एक सीमित सुरक्षा देने और सार्वजनिक सुविधाओं को बढ़ाने के उनके प्रस्ताव- दरअसल पहले के सालों के उदारवादी सुधारवाद को थोड़ा ज़िंदा करने से ज़्यादा कुछ नहीं है।

हालांकि, मामूली से मामूली प्रस्तावों को भी वॉल स्ट्रीट, कॉर्पोरेट-वित्तीय कुलीनतंत्र और उनके हितों की रक्षा करने वाले सरकारी तंत्र के मुकदमों, राजनीतिक भड़काऊ कार्रवाइयों या और अधिक सीदे तौर पर भयंकर प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा। वित्तीय अभिजात वर्ग किसी भी बात पर झुकने को तैयार नहीं है। वह अपने पास मौजूद सभी साधनों से, अपनी संपत्ति और शक्ति पर ज़रा सी भी आंच आने का विरोध करेगा।

इस वित्तीय अभिजात वर्ग के राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे ट्रंप प्रशासन ने ममदानी की जीत पर पहले ही आक्रामक रुख़ अख़्तियार करते हुए धमकियों का सहारा लिया है और न्यूयॉर्क सिटी में सीधे दख़ल देने को तैयार रहने की धमकी और संकेत दिए हैं। जब ममदानी ने जीत के बाद अपना विजयी भाषण दिया, जिसमें उन्होंने ट्रंप को संबोधित करते हुए 'अपने टेलीविज़न की आवाज़ को ऊंचा करने' को कहा था, उसके ठीक बाद फ़ॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति ने चेतावनी दी थी, 'उनके लिए यह एक बहुत ही ख़तरनाक बयान है। आप धमकी की बात करते हैं—मुझे लगता है कि उनके लिए यह एक बहुत ही ख़तरनाक बयान है। उन्हें वॉशिंगटन के प्रति थोड़ा सम्मान दिखाना होगा।”

ठीक इसी तरह ट्रंप के फासीवादी सलाहकार स्टीव बैनन ने पॉलिटिको से कहा कि 'ममदानी का चुनाव एक चेतावनी की तरह है' और जोड़ा कि 'चारो ओर ख़तरे की घंटी' बज रही है। और फिर बैनन ने एलान किया, 'ये बहुत गंभीर लोग हैं और उनके साथ गंभीरता से ही निपटने की ज़रूरत है।' उन्होंने ममदानी को निर्वासित करने की मांग की, जबकि ममदानी युगांडा में जन्मे एक अमेरिकी नागरिक हैं।

सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी इन बयानों का विरोध करेगी और न्यूयॉर्क सिटी में नेशनल गॉर्ड और अन्य सैन्य बलों की तैनाती समेत सभी हमलों का विरोध करेगी। हालांकि हम अपनी राजनीति को ममदानी और डेमोक्रेटिक पार्टी के मातहत नहीं करेंगे।

जिस डेमोक्रेटिक पार्टी के ममदानी सदस्य हैं, वो खुद, संपत्ति और वित्तीय अभिजात वर्ग के दबदबे को चुनौती नहीं देती है। ममदानी के साथ काम करने के मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष लोगों में ही मतभेद है। एक धड़े का कहना है कि पार्टी को एक ऐसे उम्मीदवार की ज़रूरत है जो व्यापक अपील कर सकता हो और एक अन्य धड़े को सत्ता तंत्र विरोधी भावनाओं के उभार का डर सता रहा है, जिससे हालात बहुत तेज़ी से हाथ से निकल सकते हैं।

सीनेट में अल्पसंख्यक नेता चक शुमर समेत कई अग्रणी डेमोक्रेट नेताओं ने, प्राइमरी चुनावों में जीत के बाद भी ममदानी को समर्थन देने से इनकार कर दिया था। डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखपत्र की तरह काम करने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स ने बुधवार को एक लंबा संपादकीय छापा जिसमें नए मेयर के लिए कुछ मानदंड बनाए गए थे। और संपादकों ने दृढ़ता से मांग की कि ममदानी को अपने चुनावी वादों से मुंह मोड़ लेना चाहिए और पूर्व अरबपति मेयर माइकल ब्लूमबर्ग की तरह की शासन चलाना चाहिए। माइकल ब्लूमबर्ग वही हैं जिन्हें खुद ममदानी ने मनाने की विफल कोशिश की थी।

संपादकीय में इस बात की ज़रूरत पर जोर दिया गया था कि ममदानी को एक ऐसी कैबिनेट चुननी चाहिए जो वॉल स्ट्रीट और रीयल इस्टेट उद्योग के लिए स्वीकार योग्य हो। और ये एक ऐसा सुझाव था जिसे ममदानी से तुरंत मान लिया। बुधवार को उन्होंने एक तदर्थ टीम की घोषणा की जिसमें पिछले तीन मेयरों के प्रशासन में रह चुके वयोवृद्ध डेमोक्रेट व्यक्ति शामिल हैं- माइकल ब्लूमबर्ग, बिल डी ब्लासियो और एरिक एडम्स।

सत्ताधारी वर्ग के अंदर से आई धमकियों के प्रति ममदानी का रुख़, अमेरिका के डेमोक्रेटिक सोशलिस्टों की राजनीति को अभिव्यक्त करता है। उनका पूरा नज़रिया इस दावे पर आधारित है कि बिल्कुल अलग अलग वर्गीय हितों के बीच सुलह संभव है- कि वास्तविक सामाजिक बदलाव को शोषितों और शोषकों के बीच मेलजोल के मार्फ़त ज़मीन पर उतारा जा सकता है, और यह काम डेमोक्रेटिक पार्टी के माध्यम से किया जा सकता है। यह एक भ्रम है, जिसका आधार राजनीति या सामाजिक सच्चाई में मौजूद नहीं है।

बुधवार को अपने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ममदानी ने ट्रंप और वॉल स्ट्रीट दोनों के 'साथ मिलकर' काम करने की अपनी इच्छा बार बार दुहराई। उन्होंने एलान किया कि हालांकि राजनीतिक रूप से वो ट्रंप का विरोध करते हैं, लेकिन वो 'ट्रंप से बातचीत करना चाहते हैं ताकि न्यूयॉर्क वासियों की सेवा के लिए साथ मिलकर काम किया जा सके।' उन्होंने जोड़ा कि 'अगर शहर के फ़ायदे की बात हो तो वो किसी से भी बात करने को तैयार हैं।'

ममदानी ने ये भी घोषणा की कि वो जेपी मॉर्गन चेस सीईओ जेमी डिमोन से मुलाक़ात करना चाहेंगे और 'हमारे शहर के भविष्य के बारे में हर व्यक्ति से बात करना चाहेगें.' उन्होंने न्यूयॉर्क को चलाए रखने के लिए 'बड़े पैमाने पर निवेश' करने के लिए डिमोन और अन्य अरबपतियों की तारीफ़ की। ये एक समाजवादी के शब्द नहीं हैं बल्कि एक राजनेता के शब्द हैं, जो वित्तीय अभिजात वर्ग को भरोसा दिला रहा है कि उनकी संपत्ति, शक्ति और विशेषाधिकार को हाथ तक नहीं लगाया जाएगा।

जैसा कि वर्ल्ड सोशलिस्ट वेबसाइट ने जून के प्राइमरी चुनावों के समय लिखा था, 'चुनावी भाषणों के दबाव में वॉल स्ट्रीट के किले नहीं ढहेंगे।' ममदानी के चुनाव पर बाज़ारों की प्रतिक्रिया ने इस बात को और पुख़्ता कर दिया है। चिंता जताने के बजाय, वित्तीय कुलीन वर्ग ने नतीजों का स्वागत शांति से किया। बुधवार को वॉल स्ट्रीट के सभी प्रमुख सूचकांकों में तेज़ी देखी गई।

अपने विजय भाषण में, ममदानी ने महान अमेरिकी समाजवादी यूजीन वी. डेब्स का नाम लिया। हालाँकि, उन्होंने डेब्स के इस मूल बात को छोड़ दिया: 'मज़दूर वर्ग की मुक्ति कभी भी पूँजीपति वर्ग की कृपा से नहीं होगी, बल्कि केवल उस वर्ग को उखाड़ फेंकने से ही होगी।'

पिछले दशक का अनुभव ऐसे दलों और व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिनके राजनीतिक सत्ता तंत्र से आमूल-चूल अलग होने के दावे, पूंजीवादी शासन की वास्तविकताओं के सामने ध्वस्त हो गए। ग्रीस में, कट्टरपंथी वामपंथियों का गठबंधन (सिरिज़ा) 2015 में ख़र्च कटौती समाप्त करने का वादा करके सत्ता में आया, लेकिन बैंकों और यूरोपीय संघ के आदेशों पर उसने सामाजिक सुविधाओं में सबसे क्रूर कटौती लागू कर दी। जर्मनी में, डाई लिंके (वामपंथी पार्टी) ने उन राज्य सरकारों में हिस्सा लिया है जो शरणार्थियों को भगाती हैं और ख़र्च कटौती लागू करती हैं। ब्रिटेन में, लेबर पार्टी के भीतर कॉर्बिन आंदोलन ने, दक्षिणपंथी सत्ता तंत्र के आगे घुटने टेक दिए, जिससे नंगी प्रतिक्रियावादी ताक़तों की वापसी का रास्ता साफ़ हुआ।

वर्गीय दृष्टि से, ये प्रवृत्तियाँ मज़दूर वर्ग के हितों को नहीं, बल्कि उच्च-मध्यम वर्ग के हितों को अभिव्यक्त करती हैं - एक विशेषाधिकार प्राप्त सामाजिक स्तर, जो समाज में बुनियादी बदलाव की नहीं, बल्कि अपने लिए अधिक आरामदायक स्थिति चाहता है।

इसमें कोई शक नहीं है कि एक समाजवादी को वोट देने वाले कई मज़दूर, ममदानी के चुनाव को कार्रवाई करने और अपनी माँगों को आगे बढ़ाने के संकेत के रूप में देखेंगे। लेकिन जब मज़दूर संघर्ष में उतरेंगे तो ममदानी क्या करेंगे? अनिवार्य रूप से, वर्ग हितों का तर्क अपनी जगह बना लेगा। ममदानी वित्तीय और राजनीतिक सत्ता तंत्र की माँगों के आगे झुक जाएँगे। वे चाहे जो भी दावा करें, उनके अभियान का अंतिम उद्देश्य मज़दूर वर्ग के बढ़ते आंदोलन को रोकना और नियंत्रित करना है।

न्यूयॉर्क और पूरे देश में मज़दूरों के लिए आगे का रास्ता डेमोक्रेटिक पार्टी पर दबाव डालने या ममदानी के प्रशासन से उम्मीदें रखने में नहीं, बल्कि संघर्ष में मज़दूर वर्ग की स्वतंत्र लामबंदी में निहित है।

सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी हर कार्यस्थल, मोहल्ले और स्कूल में रैंक-एंड-फ़ाइल कमेटियों को बनाने का आह्वान करती है, जो इंटरनेशनल वर्कर्स अलायंस ऑफ़ रैंक-एंड-फ़ाइल कमेटियों (आईडब्ल्यूए-आरएफ़सी) के माध्यम से जुड़ी हों। इन कमेटियों को मज़दूरों के लिए अपने संघर्षों को संगठित करने, उनमें तालमेल करने और उन्हें आगे बढ़ाने का माध्यम बनना चाहिए, मौजूदा व्यवस्था में सुधारों की गुहार लगाने के लिए नहीं, बल्कि अपने कार्यक्रम को स्पष्ट करने और उसके लिए लड़ने के लिए: नौकरियों, वेतन और जीवन स्तर की रक्षा; युद्ध और तानाशाही का विरोध; और मज़दूरों की ताक़त और समाज के समाजवादी बदलाव के लिए संघर्ष के लिए।

शासक वर्ग की संपत्ति पर सीधे हमले के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। अरबपतियों की दौलत, जो बैंकों, निगमों और रियल एस्टेट के एकाधिकार पर उनके नियंत्रण में निहित है—को ज़ब्त किया जाना चाहिए और उनके एकाधिकार को लोकतांत्रिक मज़दूरों के नियंत्रण में सार्वजनिक स्वामित्व वाली उपयोगिताओं में बदलना होगा।

महत्वपूर्ण प्रश्न नेतृत्व और नज़रिए का है। हम उन सभी लोगों से, जो इन घटनाओं से क्रांतिकारी नतीजे निकाल रहे हैं, सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी में शामिल होने और बढ़ते सामाजिक आक्रोश को समाजवाद के लिए एक सचेत संघर्ष में बदलने के लिए आवश्यक नेतृत्व का निर्माण करने का आह्वान करते हैं।

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